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हमारी लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ और समाज की तीसरी आँख कहे जाने वाली मिडिया की हरकत वाकई झकझोरने वाली है ये कभी किसी को इन्द्रासन पर बिराजमान करती है तो फिर दो पल में उसे ज्वालामुखी के मुख पर रख देतीं है ये अपनी टी. आर .पि के लिए क्या कुछ नहीं करती
वो पूरी हो पातीं है नहीं ना
अब देखियी ना पिछले दिनों हमारे पुर्बोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री अचानक अपने हेलीकाप्टर सहित गायब हो जातें है सारी मिडिया उसी न्यूज़ पर अपने को केन्द्रित कर लेतीं है परन्तु जैसे ही आतंकवादी लादेन की खबर आती है उस न्यूज़ से सारे चैनेल वाले ऐसे अपने को गायब कर लेतीं है जैसे गधे के सर से सिंग उस दौरान आपलोगों को पता चला की आखिर मुख्यमंत्री का क्या हुआ
पिछले साल भी कुछ ऐसा ही एक दुर्घटना आँध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ घटित होती है उस वक़्त तो हमारी मीडिया उस घटना का अंत तक कवरेज करती रही अब सोचये दोनों घटना क्या अलग थी, नहीं न! अब जब लादेन वाली न्यूज़ बासी हो गयी और कोई मसाला वाली न्यूज़ नहीं मिली तो फिर ५ दिन बाद मीडिया उसी न्यूज़ पर लौट आयी
हमारे यहाँ जो दीखता वोही बिकता है सत्य है परतु फिर भी मीडिया को इसका ख्याल रखना चाहिए की उसके केवल एक न्यूज़ से देश भर में उथल पुथल मच सकता है
जब वर्ल्ड कप क्रिकेट चल रहा रहा था देश में कितने ही घटनाये घट रही थी पर सारी की सारी मीडिया उसी और लगी हुई थी ये कितना सही है मालूम नहीं और तो और ये मीडिया वाले ये भी बताने से भी नहीं चुकते है की अमुक क्रिकेटर इस सेलून में बाल कटवाते है ये टोइलेट इस्तेमाल करते है अब जरा सोचिये समाज पर इसका क्या प्रभाब पड़ेगा उस सेलून वाले के पास भीड़ बढेगी और वो अपना ब्रांच खोलेगा और और इस बिजनेस में अपना अधिपत्य कर लेगा और बाकि सेलून वालो की उस शहर में क्या स्थिति होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है गेम को गेम ही रहने देना चाहिए तभी सारे गेम वालो के साथ इन्साफ होगा आप(मीडिया) दूसरी खेलो को तवज्जो नहीं देते तो क्रिकेट को इतना क्यों आज मीडिया की कृपा से ही सारे के सारे क्रिकेटरों को हम पहचानते है मजाल है की दुसरे खेलो के १० खिलाडियो के नाम बता दे नहीं सकेंगे
दुसरे खेल वालो को कोई फ्री में ADD नहीं देता और हमारे क्रिकेटर मिडिया की कृपा से करोडो रूपए के ADD , और ब्रांड अम्बेसेडर नियुक्त होते है
अब मान लीजिये कोई क्रिकेटर किसी प्रोडक्ट का ADD करता है वो कितना ही महंगा और घटिया क्यों न हो हम वही खरीदेंगे कारन हमारा हीरो वही सामान का प्रचार करता है
इसी की देखा देखि सभी कंपनिया अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए इन्ही से सौदा करती है रिजल्ट क्या होता है वो सामान महंगा हो जाता है और जनता बेचारी उसमे पिसती जाती है उन्हें सुपर हीरो किसने बनाया मीडिया ने!
अब आते है दूसरी बात पर हमरी मीडिया ने कभी उस अन्नदाता के बारे में दिखाया है जो खुद भूखे रहकर पुरे देश का पेट भरता है
कभी उन लोगो के जन्मदिन के बारे में बताया है जिसकी टेक्नोलोजी से हमारा देश आगे बढता है नहीं
जब हमारी मीडिया को इन बातों से कोई सरोकार ही नहीं तो फिर न्यूज़ चैनल की स्थापना ही क्यों की हद तो तब हो जाती है जब सास बहु के सिरिअल को मसाला लगा कर पेश करती है मनो वो कोई जीवंत न्यूज़ हो
अब देखिये पिछले दिनों मिलावटी दूध के बारे में मीडिया में न्यूज़ आ रहा था आना भी चाहिए लेकिन उसके साथ साथ ये भी दिखाया जाता है की किस तरह मिलावटी ढूध बनाया जाता है इससे हुआ क्या
मिलावटी ढूध बिकना बंद हो गया नहीं, हुआ ये की जो लोग मिलावटी दूध बनाना नहीं जानते थे वो भी सिख गए क्या जरुरत थी इसे बनाने के तरीके को दिखाना
अब आते है पिछले कुछ बरस पहले एक बच्चा (प्रिंस) एक बोरवेल में गिर जाते है सारी मीडिया उसकी कोवरेज करती है यहाँ तक की उसकी आजीवन पढ़ाई का खर्चा भी मीडिया हाउस ही वहन करने का वादा करती है अच्छी बात है
पर उसके बाद कितने ही बच्चे बोरवेल में गिरते है क्या उसकी सुधि मीडिया वालो ने ली नहीं !क्यों वो मासूम किसी के बच्चे नहीं थे या फिर अब इस न्यूज़ में मसाला नहीं रहा
ऐसे कितने ही उदहारण भरे पड़े है
हम जानते है आज देश में मीडिया के कारन ही एक सत्य युग का आगमन हो रहा है और आज मीडिया न होती तो न जाने क्या होता
इतने भ्रस्ट लोगो को सजा भी हो सकता है नहीं मिल पाता लेकिन फिर भी इस बात से मुकरा नहीं जा सकता है की मीडिया में कुछ भी बुरा नहीं है
अगर देश में कुछ भला होने का श्रेयमीडिया वाले को मिल रहा है तो कुछ बुरा होता है तो वह दोष भी मीडिया के ही सर होगी
ये अपना आर्टिकल मैंने अपने एक आर्टिकल को बिच में छोड़कर लिखा है अब जाते जाते आप सबो को प्रणाम और मेरे प्रेरणास्रोत मेरे प्रिय प्रेमात्मा(भैया और दीदी (भाभी)) को प्रणाम और समर्पण
सुप्रिय
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